Sadabahar Kahaniya Acharya Chatursen Shastri

Imprint / Yuvaan Books

Author / Acharya Chatursen Shastri

आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने हिंदी के ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों को नया प्रस्थान दिया। स्पष्ट विषय, युग विशेष का समर्थ चित्रण, संस्कृतनिष्ठ तथा आलंकारिक भाषा-शैली में के नाते अलग से पहचाने जाते हैं। वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ जैसे उनके उपन्यासों ने उन्हें लोगों के ज़ेहन में अमर कर दिया। उन्होंने अनेक विधाओं में लेखन कार्य किया है लेकिन उपन्यास और कहानियाँ ही उनकी प्रतिष्ठा का आधार हैं। यहाँ उनकी हर टेस्ट की कुछ श्रेष्ठ कहानियाँ दी जा रही हैं। आशा है आपको पसंद आएँगी।

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About the Author

आचार्य चतुरसेन शास्त्री (26 अगस्त 1891 – 2 फरवरी 1960) हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित उपन्यासकार, कहानीकार और नाटककार थे। वे अपने ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिनमें भारतीय इतिहास, संस्कृति, और समाज का यथार्थ चित्रण मिलता है। उनकी लेखनी में गहन शोध, सजीव पात्र चित्रण, और सशक्त भाषा शैली का अनूठा संगम देखने को मिलता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के चांदोख गाँव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम चतुरसेन सक्सेना था। उन्होंने आयुर्वेद की शिक्षा प्राप्त की और वैद्य का कार्य भी किया, लेकिन उनकी रुचि साहित्य लेखन में थी, जिससे वे हिंदी साहित्य के महान लेखकों में शामिल हुए।

साहित्यिक योगदान:

आचार्य चतुरसेन ने ऐतिहासिक, सामाजिक और धार्मिक विषयों पर अनेक उपन्यास, कहानियाँ और नाटक लिखे। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं:

  1. वैशाली की नगरवधू – यह उनका सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें उन्होंने प्राचीन भारत के लिच्छवि गणराज्य और अम्बपाली की कहानी को जीवंत किया है।
  2. सोमनाथ – इस उपन्यास में सोमनाथ मंदिर के विध्वंस और उसके ऐतिहासिक संदर्भों को चित्रित किया गया है।
  3. वयं रक्षामः – रामायण के रावण के दृष्टिकोण से लिखा गया उपन्यास, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है।
  4. धर्मपुत्र – यह उपन्यास समाज और धर्म के मुद्दों को गहनता से समझने का प्रयास है।

लेखन शैली और विशेषताएँ:

आचार्य चतुरसेन की लेखन शैली में ऐतिहासिक शोध, सजीव वर्णन, और पात्रों की गहरी मनोवैज्ञानिक समझ दिखाई देती है। वे अपने उपन्यासों में ऐतिहासिक तथ्यों को रोचक कथा रूप में प्रस्तुत करते थे, जिससे पाठक इतिहास के साथ-साथ मनोरंजन का भी अनुभव करते थे।

सम्मान और मान्यता:

उनकी साहित्यिक कृतियों को हिंदी साहित्य में उच्च स्थान प्राप्त है और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनकी रचनाएँ आज भी लोकप्रिय हैं और वे साहित्य प्रेमियों के बीच सम्मानपूर्वक पढ़े जाते हैं।

मृत्यु और विरासत:

2 फरवरी 1960 को आचार्य चतुरसेन शास्त्री का निधन हुआ, लेकिन उनकी कृतियाँ और साहित्यिक धरोहर अमर हैं। उनके उपन्यासों ने हिंदी साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और भारतीय इतिहास को कथा रूप में प्रस्तुत करने की परंपरा को समृद्ध किया।

आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिंदी साहित्य के उन महान लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने अपने लेखन से पाठकों को न केवल मनोरंजन प्रदान किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास को भी समझने का एक नया दृष्टिकोण दिया।

Additional information

Weight 0.05 kg
Dimensions 15.2 × 10.2 × 0.2 cm
Author

Acharya Chatursen Shastri

Imprint

Yuvaan Books

Publication date

1 January 2023

Pages

128

Reading age

10 years and up

ISBN-13

978-9392088810

Binding

Paperback

Language

Hindi

Brand

Yuvaan Books

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