

प्रिय का सधा हुआ चमकदार गद्य उनके व्यंग्य को वह ज़रूरी धार मुहैया कराता है जिसकी अनुपस्थिति में इस तरह के लेखन के सामने दोहराव का जोखिम बना रहता है। उनके लेखन में जीवन से सीधी मुठभेड़ करते आमजन के लिए स्पष्ट प्रतिबद्वता तो नज़र आती ही है, उनके अध्ययन के विस्तृत और दिलचस्प दायरे की झलक भी मिलती है। वे बड़ी आसानी से भाषा और शैलियों के अलग-अलग रास्तों में आवाजाही करना जानते हैं और उनकी चपल और संवेदनशील दृष्टि चीज़ों के आरपार देखने का हौसला रखती है। प्रिय का यह पहला संग्रह समकालीन साहित्य में उनकी मजबूत उपस्थिति को दर्ज करेगा।
प्रिय हिन्दी व्यंग्य की उम्मीद हैं। उनके लेखन में राजनीतिक जुमलों से भरमाने वाली अभिव्यक्ति नहीं बल्कि उससे आगे निकलता सहज परिहास है। बीते अनेक दशकों से व्यंग्य के नाम पर बौद्विक कुण्ठा परोसी जा रही थी। कभी-कभी कुण्ठा के ऐसे ही प्रस्तुतिकरण को राजनीतिक चेतना भी कह दिया जाता रहा है। प्रिय की लिखत में सिर्फ राजनीति नहीं, हमारे आसपास का आम परिवेश है। प्रिय, तुम ‘पारसाई’ से बचते हुए हमाम की हलचल बताते रहो।
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प्रिय
प्रिय चर्चित युवा व्यंग्यकार हैं। उनके व्यंग्य में समाज और साहित्यिक- समाज के साथ प्रशासन की अमानवीयता पर प्रभावी कटाक्ष होता है। उनकी पैदाइश ग्वालियर की है लेकिन रहते भोपाल में हैं। नई दुनिया, स्वदेश, कर्मवीर में उनके व्यंग्य निरन्तर प्रकाशित होते रहे हैं। काफ़लट्री नाम के पोर्टल पर प्रकाशित व्यंग्य लेखों से उन्हें खूब लोकप्रियता मिली। अगर वह किताब छपवाना चाहते तो अबतक उनके कई व्यंग्य संग्रह आ चुके होते, लेकिन यह उनकी पहली ही किताब है।
हरिओम तिवारी मध्यप्रदेश के जाने-माने कार्टूनिस्ट, अभिनेता और लेखक हैं। दैनिक भास्कर समेत अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके कार्टून प्रकाशित होते रहे हैं। भोपाल में निवास ।
Weight | 0.100 kg |
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Dimensions | 7.7 × 5.1 × 1 cm |
Brand |
Yuvaan Books |
Author |
Priy |
Imprint |
Yuvaan Books |
Publication date |
11 February 2025 |
Pages |
216 |
Reading age |
8 years and up |
ISBN-13 |
9789348497680 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
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