इस बाल उपन्यास में बच्चों के साहस और जिज्ञासा की दुनिया खुलती है. इसमें दो बच्चे हैं- चीनू और मीनू. वो दोनों शहर से अपने नानी के गाँव जाते हैं और वहाँ मोरों के बहाने बच्चों के अपहरण करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हैं. यह बहुत आसान भाषा में लिखी गयी जासूसी कहानी है. इसके नायक बच्चे हैं. इसमें गाँव का जीवन, प्रकृति, आपसी जुड़ाव सब कुछ सामने आता है. पढ़ने में इतनी सरस है कि पाठक बस पेज़-दर-पेज़ पढ़ता ही चला जाए. इसकी लेखिका अंकिता जैन हिंदी की प्रतिष्ठित युवा कथाकार हैं. यह उनकी छठीं किताब है. उनकी रचनाएँ हिंदी की प्उरतिष्न्हेंठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. उन्हें ‘मेदनी’ पुरस्कार सहित अनेक महत्त्वपूर्ण सम्मान मिल चुके हैं.
अंकिता जैन युवा कथाकारों में एक सुपरिचित नाम है। अब तक उनकी कुल पाँच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। वह लंबे समय तक ऍफ़. एम. के लिए कहानियाँ लिखती रही हैं एवं समसामयिक मुद्दों पर उनके लेख अनेक अख़बारों और पोर्टल्स पर प्रकाशित होते रहते हैं। उन्हें पर्यावरण मंत्रालय का ‘मेदनी’ पुरस्कार मिल चुका है। वह पेशे से इंजीनियर रही हैं लेकिन साहित्य के पैशन को फॉलो करते हुए अब कला और साहित्य की होलटाइमर हैं।
Reviews
There are no reviews yet.