आलोक कुमार मिश्रा हिंदी के युवा कवि और शिक्षाविद हैं। वह अपने लेखन में दैनंदिन जीवन-अनुभवों का विश्लेषण, मनुष्यता की कसौटी पर करना चाहते हैं और सामाजिक सक्रियता का परिवर्तन की कसौटी पर ।
उनकी रचनाएँ हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर छपती रही हैं। अब तक उनकी तीन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आ रहे बदलावों के न वह सिर्फ़ गवाह रहे हैं बल्कि उसके सक्रिय सहभागी भी हैं। लगातार वस्तुनिष्ठ तरीके से इस सब पर लिखते भी रहे हैं। सम्प्रति राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं और दिल्ली में रहते हैं।
Bachche Masheen Nahin Hain By Alok Kumar Mishra
Imprint /
Unbound Script
Author / Alok Kumar Mishra
शिक्षा सिर्फ़ विद्यार्थियों का प्रश्न नहीं है, यह हमारे नागरिक भविष्य और मनुष्यता का मसला है। यह किताब शिक्षा व उससे जुड़े विषयों को इसी ज़मीन से देखती है। यह बड़े-बड़े सिद्धांतों के परकोटे से शिक्षा को देखने की बजाय बाल मनोविज्ञान और हमारे दैनंदिन सामाजिक जीवन के भीतर से अपने सूत्र विकसित करती है। इसके चलते यह अध्यापकों के
लिए उपयोगी होने के साथ आम विचारशील लोगों के लिए भी रोचक बन उठी है।
इसकी सादगी प्रभावित और ईमानदारी कनविन्स करती है।
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About the Author
Additional information
Weight | 0.1 kg |
---|---|
Dimensions | 19 × 12.3 × 1 cm |
Author |
Alok Kumar Mishra |
Imprint |
Unbound Script |
Publication date |
8 January 2025 |
Pages |
214 |
Reading age |
Upto 14 Years |
ISBN-13 |
9788197664564 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
Brand |
Unbound Script |
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