शिक्षा सिर्फ़ विद्यार्थियों का प्रश्न नहीं है, यह हमारे नागरिक भविष्य और मनुष्यता का मसला है। यह किताब शिक्षा व उससे जुड़े विषयों को इसी ज़मीन से देखती है। यह बड़े-बड़े सिद्धांतों के परकोटे से शिक्षा को देखने की बजाय बाल मनोविज्ञान और हमारे दैनंदिन सामाजिक जीवन के भीतर से अपने सूत्र विकसित करती है। इसके चलते यह अध्यापकों के
लिए उपयोगी होने के साथ आम विचारशील लोगों के लिए भी रोचक बन उठी है। इसकी सादगी प्रभावित और ईमानदारी कनविन्स करती है।
आलोक कुमार मिश्रा हिंदी के युवा कवि और शिक्षाविद हैं। वह अपने लेखन में दैनंदिन जीवन-अनुभवों का विश्लेषण, मनुष्यता की कसौटी पर करना चाहते हैं और सामाजिक सक्रियता का परिवर्तन की कसौटी पर । उनकी रचनाएँ हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर छपती रही हैं। अब तक उनकी तीन किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आ रहे बदलावों के न वह सिर्फ़ गवाह रहे हैं बल्कि उसके सक्रिय सहभागी भी हैं। लगातार वस्तुनिष्ठ तरीके से इस सब पर लिखते भी रहे हैं। सम्प्रति राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं और दिल्ली में रहते हैं।
Additional information
Weight
0.1 kg
Dimensions
19 × 12.3 × 1 cm
Author
Alok Kumar Mishra
Imprint
Unbound Script
Publication date
8 January 2025
Pages
214
Reading age
Upto 14 Years
ISBN-13
9788197664564
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
Unbound Script
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