यह लोकप्रिय युवा कवि स्वयं श्रीवास्तव का पहला काव्य संग्रह है। इसके हर गीत और नज़्में पहले ही लोगों की ज़ुबान पर हैं। स्वयं श्रीवास्तव अपने समय की असल समस्याओं को उठाते हैं। उनकी कविताओं में युवा मन की बेकरारी, बेकारी, प्रेम, असफलताबोध और सौन्दर्याकांक्षा मिलेगी। जब उनकी हिन्दुस्तानी जुबान में आप इन्हीं चीज़ों को सुनते हैं तो एक ही बात जेहन में कौंधती है— “देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि जो उसने कहा मैं ने ये जाना कि गोया ये भी मेरे दिल में है”।
हिन्दी युवा कविता में चर्चित नाम है। स्वयं का जन्म 28 अगस्त 1992 को उन्नाव में हुआ। वह हिन्दी साहित्य से परास्नातक हैं लेकिन डिग्री उनकी प्रतिभा की गवाही देने के लिए अपर्याप्त है। वह अपनी मातृभाषा के उन विद्यार्थियों में से हैं, जिन्होंने अपनी वाणी से उसे समृद्ध किया। वह मुख्यतः युवाओं के मन की आकुलता और सौन्दर्याकांक्षा को विषय बनाते हैं लेकिन उसे अपनी दृष्टि और भावनात्मक दीप्ति से सर्वश्लेषी काव्य वस्तु में बदल देते हैं। वह पिछले एक दशक से कवि सम्मेलनों में सक्रिय है और अनगिनत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर काव्य पाठ कर चुके हैं। यह उनका पहला संग्रह है लेकिन उनकी ज्यादार कविताएँ पहले ही लोगों की जुबान पर हैं। फिलवक़्त अपने गृह जनपद उन्नाव में रहते हैं।
Additional information
Weight
0.100 kg
Dimensions
18.3 × 12.5 × 1 cm
Author
Swayam Srivastava
Imprint
Yuvaan Books
Publication date
14 January 2025
Pages
120
Reading age
14 years and up
ISBN-13
978-9348497949
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
Yuvaan Books
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