कुत्ते की कहानी मुंशी प्रेमचंद कल्लू कुत्ते के आश्चर्यजनक कारनामों की अनोखी कहानी। वह अपने संघर्ष, साहस, और चतुराई से अनेक बार लोगों की जान बचाता है। वह एक भाड़ में पैदा हुआ था। पंडित के याहाँ पला था लेकिन ब्रिटेन तक घूम आया। अख़बारों में उसकी ख़बरें छपती रहीं। फिर वह अपने उसी गाँव में लौट आया, जहाँ पैदा हुआ था। इसमें हास्य है, खौफ़ है, रोमांच है और जीवन के लिए ज़रूरी सीख भी।
मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महानतम लेखकों में से एक थे। उनका असली नाम धनपत राय था, लेकिन साहित्यिक दुनिया में वे ‘प्रेमचंद’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी रचनाएँ भारतीय ग्रामीण जीवन, सामाजिक समस्याओं और मानव भावनाओं का यथार्थवादी चित्रण करती हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी के पास लमही गाँव में हुआ था।
उनकी माँ का देहांत बचपन में ही हो गया था, और उनका पालन-पोषण पिता और सौतेली माँ ने किया।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में शिक्षक बने।
साहित्यिक जीवन:
प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत उर्दू में की और बाद में हिंदी में लिखने लगे।
उनकी कहानियाँ और उपन्यास भारतीय समाज की कुरीतियों, शोषण, जातिवाद और गरीबी पर करारा प्रहार करते हैं।
उनकी भाषा सरल और सजीव होती थी, जो आम जनमानस के दिलों को छू जाती थी।
प्रमुख रचनाएँ:
उपन्यास:
गोदान – भारतीय किसानों की दुर्दशा और सामाजिक संघर्ष को दर्शाने वाला उनका अंतिम और सबसे प्रसिद्ध उपन्यास।
गबन – लालच और सामाजिक पतन की कहानी।
निर्मला – दहेज प्रथा और स्त्री की व्यथा को उजागर करता है।
कर्मभूमि – स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों पर आधारित।
कहानी संग्रह:
पंच परमेश्वर, ईदगाह, बड़े भाई साहब, ठाकुर का कुंआ जैसी अनगिनत कहानियाँ, जो सामाजिक यथार्थ को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती हैं।
शैली और विशेषताएँ:
प्रेमचंद की लेखनी में यथार्थवाद, मानवीय संवेदनाएँ और सामाजिक समस्याओं का जीवंत चित्रण मिलता है।
उन्होंने कल्पनाओं की बजाय जीवन की सच्चाई को अपनी कहानियों और उपन्यासों का आधार बनाया।
वे सामाजिक सुधार के समर्थक थे और उनकी रचनाओं में नारी उत्थान, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई गई है।
मृत्यु और विरासत:
8 अक्टूबर 1936 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
उनके साहित्यिक योगदान को देखते हुए उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ कहा जाता है।
उनकी कृतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं और हिंदी साहित्य में उन्हें अमर स्थान प्राप्त है।
मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास आज भी पाठकों के दिलों में जिंदा हैं।
Additional information
Weight
0.1 kg
Dimensions
19.4 × 13 × 0.1 cm
Author
Munshi Premchand
Imprint
The Kid Books
Publication date
24 January 2024
Pages
64
Reading age
8 years and up
ISBN-13
978-8119745739
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
The kid Books
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