लखनऊ जितना नवाबों के लिए जाना जाता है उतना ही शायरों के लिए भी। पर उस दिन के बाद ये शहर टैक्सी ड्राइवर शरद सिंह के लिए भी जाना जाने लगा । क़िस्मत ने ऐसा खेल खेला कि इस एक अकेले के पीछे शायराना शहर के सारे धुरंधर पड़ गये । जैसे चाहने वाले मीर की कब्र ढूढ़ते हैं वैसे मारने वाले शरद सिंह को ढूढ़ रहे थे । किसी ज़माने में इसी लखनऊ की गलियों में अपनी मोहब्बत के हाथों में हाथ डाले शरद नवाबों की तरह घूमता था । और अब हाल ये था कि जान बचाने के लिए मारा-मारा फिर रहा था । दिन जवानी के थे और दौर मुसीबतों का। वो वक़्त कुछ और था जब शरद किसी का जान-ए-जिगर हुआ करता था। अब जो थे वे जानी दुश्मन थे। बीते दिनों पिताजी शरद से लखनऊ छुड़वाना चाहते थे और शरद ने मना कर दिया था। पर हालात ने शरद को ऐसे मोड़ पे खड़ा कर दिया था कि वो हर साँस साँस में कह रहा था- लखनऊ अरे तौबा !
आलोक मिश्रा हिन्दी फ़िल्म इंडस्ट्री में निर्देशक और पटकथा लेखक के रूप में सक्रिय हैं। रहने वाले उत्तर प्रदेश के हैं और फ़िलहाल मुंबई में रहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव से मुंबई तक के उनके सफर में अभिनय, फिल्म निर्देशन, पटकथा लेखन से लेकर उपन्यास लेखन तक के कई पड़ाव हैं। उनकी पहली किताब ‘काशी एक्सप्रेस’ पाठकों के बीच खासी लोकप्रिय रही। उनमें सामाज को समझने की शिद्दत है । आलोक पुराने पड़ चुके सामाजिक यथार्थवादी तरकीबों से हट कर लिखते हैं। इसलिए शैली और भाषा में तोड़फोड़ चाहते हैं, जो इस किताब में भी है ।
Additional information
Weight
0.1 kg
Dimensions
19.4 × 12.2 × 1 cm
Author
Alok Mishra
Imprint
Yuvaan Books
Publication date
8 October 2024
Pages
172
Reading age
16 years and up
ISBN-13
978-8197664571
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
Yuvaan Books
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