lucknow Arey Tauba ( लखनऊ अरे तौबा ) By Alok Mishra
लखनऊ जितना नवाबों के लिए जाना जाता है उतना ही शायरों के लिए भी। पर उस दिन के बाद ये शहर टैक्सी ड्राइवर शरद सिंह के लिए भी जाना जाने लगा । क़िस्मत ने ऐसा खेल खेला कि इस एक अकेले के पीछे शायराना शहर के सारे धुरंधर पड़ गये । जैसे चाहने वाले मीर की कब्र ढूढ़ते हैं वैसे मारने वाले शरद सिंह को ढूढ़ रहे थे । किसी ज़माने में इसी लखनऊ की गलियों में अपनी मोहब्बत के हाथों में हाथ डाले शरद नवाबों की तरह घूमता था । और अब हाल ये था कि जान बचाने के लिए मारा-मारा फिर रहा था । दिन जवानी के थे और दौर मुसीबतों का। वो वक़्त कुछ और था जब शरद किसी का जान-ए-जिगर हुआ करता था। अब जो थे वे जानी दुश्मन थे। बीते दिनों पिताजी शरद से लखनऊ छुड़वाना चाहते थे और शरद ने मना कर दिया था। पर हालात ने शरद को ऐसे मोड़ पे खड़ा कर दिया था कि वो हर साँस साँस में कह रहा था- लखनऊ अरे तौबा !
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About the Author
Additional information
Weight | 0.1 kg |
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Dimensions | 19.4 × 12.2 × 1 cm |
Author |
Alok Mishra |
Imprint |
Yuvaan Books |
Publication date |
8 October 2024 |
Pages |
172 |
Reading age |
16 years and up |
ISBN-13 |
978-8197664571 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
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