Professor Ki Diary

Author / Dr Laxman Yadav

यह किताब डायरी, नोट्स और टिप्पणियों की शैली में अपने समय की तफ्तीश करती है। इसमें समाज और राजनीति की बड़ी परिघटनाएं हैं तो इसके बीच बनते हुए एक प्रबुद्ध नौजवान की कहानी भी है। यह आज़मगढ़ के पिछड़े किसान परिवार में पैदा होता है। इलाहाबाद और दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ायी करता है। दशक भर से ज़्यादा दिल्ली के एक कॉलेज में अध्यापन करता है। उसके कंधों पर गरीब परिवार की अपेक्षाओं और अपने सपनों का वज़न है। वह अकेला है। वह असमंजस, असुरक्षा और अनिश्चितता से घिरा हुआ है। वह डरा हुआ है। मगर वह किताबों को नौकरी पाने का जरिया नहीं बनाता, उनसे अपने समाज को समझने का नज़रिया हासिल करता है। सत्ताएँ उसे डराती हैं तो वह डरने की बजाय दुस्साहसी होता जाता है। धीरे-धीरे उसकी समझ, दायित्वबोध और लोकप्रियता का दायरा बढ़ता जाता है। वह क्लास के छात्रों से सुदूर ग्रामीण लोगों तक का प्रोफ़ेसर बन जाता है। यह फिक्शनल है, क्योंकि इसमें संज्ञाएँ बदल दी गयी हैं. यह नॉनफ़िक्शन है, क्योंकि शैक्षणिक संस्थानों की स्थिति, सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियाँ रत्ती-रत्ती सही हैं। इसमें इसमें कथा, संवाद और सटायर है तो वक्तृता और विश्लेषण की चमक भी। इसमें वह सब है, जो एक पठनीय किताब में होना चाहिए।

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About the Author

डॉ. लक्ष्मण यादव

अध्येता, जन बुद्धिजीवी व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह भारतीय समाज की संघर्षधर्मी जनपक्षधर धाराओं को एक मंच पर लाने की कोशिश करते हैं। उनके लिए समाजवाद, आंबेडकरवाद, स्त्रीवाद और आदिवासियों के संघर्ष सामाजिक न्याय की एक वृहत्तर लड़ाई के अलग-अलग रंग हैं। वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से तुलसीदास विषयक आलोचना पर शोधकार्य किया। तक़रीबन डेढ़ दशक तक डीयू के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज में अध्यापन किया। तुलसीदास पर उनकी एक किताब प्रकाशित हो चुकी है।

Additional information

Weight 0.2 kg
Dimensions 7 × 4.5 × 1 cm
Author

Dr. Laxman Yadav

Imprint

Yuvaan Books

Publication date

28 January 2024

Pages

152

Reading age

8 years and up

ISBN-13

978-8119745531

Binding

Paperback

Language

Hindi

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