Ram Charcha By Munshi Premchand

Author / Munshi Premchand

भगवान श्री राम की कथा बहुत पुरानी है और इसे बहुत से लोगों ने बहुत तरीक़े से कहा है। एक तरीका महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद का है और यह तरीका उन्होंने बच्चों के लिए विकसित किया है। उनके कहने का तरीका इतना सरल, कौतुकपूर्ण और जीवंत है कि जो लोग यह कथा जानते हैं, उन्हें भी पढ़ने में रस मिलेगा। मुंशी प्रेमचंद रामकथा के उन मार्मिक स्थलों को पहचानते हैं जो बच्चों के लिए रुचिकर और श्रेयस्कर दोनों हैं। लेकिन पढ़ते हुए यह ध्यान रखना ज़रूरी हैकि यह इतिहास या महाकाव्य नहीं, उपन्यास है।

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About the Author

मुंशी प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 – 8 अक्टूबर 1936) हिंदी और उर्दू साहित्य के महानतम लेखकों में से एक थे। उनका असली नाम धनपत राय था, लेकिन साहित्यिक दुनिया में वे ‘प्रेमचंद’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी रचनाएँ भारतीय ग्रामीण जीवन, सामाजिक समस्याओं और मानव भावनाओं का यथार्थवादी चित्रण करती हैं।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:

  • प्रेमचंद का जन्म वाराणसी के पास लमही गाँव में हुआ था।
  • उनकी माँ का देहांत बचपन में ही हो गया था, और उनका पालन-पोषण पिता और सौतेली माँ ने किया।
  • आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में शिक्षक बने।

साहित्यिक जीवन:

  • प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत उर्दू में की और बाद में हिंदी में लिखने लगे।
  • उनकी कहानियाँ और उपन्यास भारतीय समाज की कुरीतियों, शोषण, जातिवाद और गरीबी पर करारा प्रहार करते हैं।
  • उनकी भाषा सरल और सजीव होती थी, जो आम जनमानस के दिलों को छू जाती थी।

प्रमुख रचनाएँ:

  • उपन्यास:

    • गोदान – भारतीय किसानों की दुर्दशा और सामाजिक संघर्ष को दर्शाने वाला उनका अंतिम और सबसे प्रसिद्ध उपन्यास।
    • गबन – लालच और सामाजिक पतन की कहानी।
    • निर्मला – दहेज प्रथा और स्त्री की व्यथा को उजागर करता है।
    • कर्मभूमि – स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक सुधारों पर आधारित।
  • कहानी संग्रह:

    • पंच परमेश्वर, ईदगाह, बड़े भाई साहब, ठाकुर का कुंआ जैसी अनगिनत कहानियाँ, जो सामाजिक यथार्थ को मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती हैं।

शैली और विशेषताएँ:

  • प्रेमचंद की लेखनी में यथार्थवाद, मानवीय संवेदनाएँ और सामाजिक समस्याओं का जीवंत चित्रण मिलता है।
  • उन्होंने कल्पनाओं की बजाय जीवन की सच्चाई को अपनी कहानियों और उपन्यासों का आधार बनाया।
  • वे सामाजिक सुधार के समर्थक थे और उनकी रचनाओं में नारी उत्थान, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, और शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई गई है।

मृत्यु और विरासत:

  • 8 अक्टूबर 1936 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
  • उनके साहित्यिक योगदान को देखते हुए उन्हें ‘उपन्यास सम्राट’ कहा जाता है।
  • उनकी कृतियाँ आज भी प्रासंगिक हैं और हिंदी साहित्य में उन्हें अमर स्थान प्राप्त है।

मुंशी प्रेमचंद की रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास आज भी पाठकों के दिलों में जिंदा हैं।

Additional information

Weight 0.1 kg
Dimensions 7.5 × 5 × 0.1 cm
Author

Munshi Premchand

Imprint

Unbound Script

Publication date

16 April 2024

Pages

160

Reading age

8 years and up

ISBN-13

978-8119745296

Binding

Paperback

Language

Hindi

Brand

Unbound Script

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