ऑस्कर वाइल्ड (16 अक्टूबर 1854 – 30 नवम्बर 1900) आयरिश नाटककार, कवि, और लेखक थे, जो अपनी बुद्धिमत्ता, रंगीन शैली और तीखे सामाजिक टिप्पणी के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्हें अंग्रेजी भाषा के सबसे महान नाटककारों में से एक माना जाता है और उन्हें काले हास्य का मास्टर भी माना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
ऑस्कर वाइल्ड का जन्म डबलिन, आयरलैंड में एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, डबलिन में और बाद में मैग्डलेन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में अध्ययन किया, जहाँ उन्होंने शास्त्रीय अध्ययन में सफलता प्राप्त की। ऑक्सफोर्ड में अपने समय के दौरान वाइल्ड अपनी बुद्धिमत्ता और एस्थेटिक मूवमेंट (जिसमें “कला सिर्फ कला के लिए” का सिद्धांत था) के समर्थक के रूप में प्रसिद्ध हुए।
प्रमुख कृतियाँ:
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The Picture of Dorian Gray (1890) – यह वाइल्ड का एकमात्र उपन्यास है, जो एक युवक डोरियन ग्रे की कहानी को चित्रित करता है, जो अपनी सुंदरता के प्रति मोह और नैतिक पतन की ओर अग्रसर होता है।
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The Importance of Being Earnest (1895) – यह नाटक वाइल्ड का सबसे प्रसिद्ध हास्य नाटक है, जिसमें सामाजिक पाखंड और पहचान की समस्या का मजाक उड़ाया गया है।
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The Canterville Ghost (1887) – यह एक हास्यपूर्ण और नासमझ भूतिया कहानी है, जो इंग्लैंड के एक पुराने महल में घटित होती है।
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Salomé (1893) – यह एक शोकपूर्ण नाटक है, जो बाइबिल की कहानी पर आधारित है, जिसमें सैलोमे की शाही और भूतिया आकृति को दिखाया गया है।
लेखन शैली:
वाइल्ड की लेखन शैली अत्यधिक चतुर और विद्रूप थी, जिसमें उनका व्यंग्यात्मक और समाज के प्रति आलोचनात्मक दृष्टिकोण साफ झलकता था। उन्होंने अक्सर अपने लेखों में सामाजिक मानदंडों, नैतिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बारे में सवाल उठाए। उनका संवाद लेखन सटीक, तेज और हमेशा हास्यपूर्ण होता था।
व्यक्तिगत जीवन:
वाइल्ड का व्यक्तिगत जीवन भी बहुत ही विवादास्पद था। उन्होंने समाज की परंपराओं और नैतिकता को चुनौती दी, और अपने जीवन के आखिरी वर्षों में उन्हें समलैंगिकता के आरोप में कारावास भी हुआ। कारावास से लौटने के बाद, वाइल्ड ने खुद को पूरी तरह से लेखन से अलग कर लिया और जीवन के अंत तक फ्रांस में निर्वासन में रहे।
विरासत:
ऑस्कर वाइल्ड का साहित्यिक योगदान आज भी जीवित है। उनकी कृतियाँ आज भी दुनिया भर में पढ़ी जाती हैं और उनके हास्य और व्यंग्य का प्रभाव आज भी साहित्य, रंगमंच और सिनेमा में महसूस किया जाता है। उनका जीवन और लेखन हमारे समाज की रूढ़ियों और मान्यताओं को चुनौती देने का एक प्रतीक बन गया है।
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