सआदत हसन मंटो 1912 – 1955 मंटो उन लेखकों में हैं, जिन्होंने आदर्श और मर्यादा के नाम पर चलने वाले पाखण्ड को तार-तार कर दिया और | सामाजिक यथार्थ को नंगी आँखों से देखना सिखाया। इसके चलते उनपर कई बार अश्लीलता के आरोप गले। इस बाबत छः मुक़दमें चले। तीन अविभाजित भारत में और तीन पाकिस्तान में। लेकिन ये आरोप साबित नहीं हुए। टोबाटेक सिंह, बू, काली शलवार, खोल दो जैसी कहानियों ने न सिर्फ़ उर्दू बल्कि हिंदी कथा साहित्य को भी प्रभावित किया। उन्हें कहानियों के अतिरिक्त रेडियो और फिल्म पटकथा लेखन के लिए भी याद किया जाता है।
सआदत हसन मंटो (1912-1955) उर्दू के महानतम लेखकों में से एक थे, जिन्हें उनकी बेबाक और यथार्थवादी लेखन शैली के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 11 मई 1912 को समराला, पंजाब (अब भारत) में हुआ था। मंटो ने अपने लेखन में समाज की कड़वी सच्चाइयों, विशेष रूप से विभाजन, गरीबी, वेश्यावृत्ति और इंसानी मनोविज्ञान को बारीकी से उकेरा।
उनकी प्रसिद्ध कहानियों में टोबा टेक सिंह, ठंडा गोश्त, काली शलवार, बू, खोल दो और हतक शामिल हैं। उनकी रचनाएँ अक्सर विवादों में घिरी रहती थीं, लेकिन उनकी कलम की धार ने समाज के दोहरे मानकों को उजागर करने में कभी संकोच नहीं किया। मंटो ने फिल्मी दुनिया के लिए भी लिखा और कई पटकथाएँ तैयार कीं।
विभाजन के बाद, वह पाकिस्तान चले गए, लेकिन वहां भी उनकी लेखनी पर मुकदमे चले। आर्थिक तंगी और मानसिक संघर्षों के बावजूद, उन्होंने लेखन जारी रखा। 18 जनवरी 1955 को लाहौर में उनका निधन हो गया। मंटो का साहित्य आज भी पाठकों और साहित्यकारों के लिए प्रेरणादायक है और उनकी कहानियाँ समाज का दर्पण बनी हुई हैं।
Additional information
Weight
0.05 kg
Dimensions
15.2 × 10.2 × 0.1 cm
Author
Saadat Hasan Manto
Imprint
Yuvaan Books
Publication date
1 January 2023
Pages
112
Reading age
17 years and up
ISBN-13
978-9392088452
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
Yuvaan Books
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