नैनीताल का ख़ूनी सिद्धार्थ मर्डर मिस्ट्री वह लड़का अपने ही गाढे़ जमे ख़ून में ठंडा पड़ चुका है। उसकी स्कूल ड्रेस को बड़े तरतीब से सिरहाने और लेसदार काले जूतों को उसके सीने पर रखा गया है। इतने चालू रास्ते पर दिन-दहाड़े ख़ून हुआ और किसी ने ख़ूनी की छाया तक नहीं देखी! इसका जवाब खोजती हुई कहानी व्यक्ति-मन और सामाजिक मनोविज्ञान की तमाम तहें खोलती चलती है। अँधेरे में दबे पाँव अपनी तरफ़ बढ़ते ख़ूनी को पहचानते हैं? वह कहीं भी हो सकता है; आपके पीछे, घर के भीतर, बस में बगल की सीट पर या फिर आपके भीतर भी!
नैनीताल का ख़ूनी डिटेक्टिव नीरजा गांधी नीरजा गांधी को एक स्कूली लड़के के ख़ूनी का अनुमान लगाना है। वह मिट चुके पद-चिह्नों, देह-हीन परछाइयों और अपनी त्रासद स्मृतियों को जोड़ती हुई उस तक पहुँच जाती है। और जब पहुँचती है तो पता चलता है वह ख़ुद ख़ूनी बुनी हुई कहानी का किरदार है। ख़ूनी की खोज एक चीज़ है, ख़ूनी के मनोविज्ञान की समझ एक अलहदा और ज़रूरी मसला है। संशय, अनिश्चय, खौफ़ और उत्सुकता की हौलनाक कहानी। शेंताल वैन मियलो का जन्म और पालन-पोषण नीदरलैंड के बॉक्सटेल में हुआ।
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