Veer Durgadas
राजपूताना में बड़े-बड़े शूर-वीर हो गये हैं। उस मरुभूमि ने कितने ही रत्नों को जन्म दिया है, पर वीर दुर्गादास अपने अनुपम आत्म-त्याग, अपनी निःस्वार्थ सेवा-भक्ति और अपने उज्ज्वल चरित्र के लिए कोहनूर के समान हैं। औरों में शौर्य के साथ कहीं-कहीं हिंसा और द्वेष का भाव भी पाया जाएगा, कीर्ति का मोह भी होगा, अभिमान भी होगा, पर दुर्गादास शूर होकर भी साधु पुरुष थे ।
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About the Author
Additional information
Weight | 0.1 kg |
---|---|
Dimensions | 18.8 × 12.1 × 0.1 cm |
Author |
Munshi Premchand |
Imprint |
Unbound Script |
Publication date |
1 January 2024 |
Pages |
88 |
Reading age |
8 years and up |
ISBN-13 |
978-8119745210 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
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