

ज़ारा नानी गीगी की दुलारी है।
वैसे तो ज़ारा सबकी दुलारी है- मम्मा की, पापा की सबकी। छुट्टियों में गीगी, जारा को वर्चुअल रियलिटी के ऐसे संसार में भेज देती हैं, जहाँ बादलों की सवारी है, प्यारे प्यारे यूनीकॉन येल और पिंकी हैं, गाईडिंग एंजेल्स हैं और चार दरवाज़े हैं, जिन्हें ज़ारा को अपनी सूझ-बूझ और हिम्मत से पार करना ही है। पार नहीं करेगी तो एक भरा पूरा जंगल उदास और अंधेरा रह जाएगा, प्यारा लुमिना अपनी मम्मा से मिल नहीं पाएगा। क्या ये हो पाया?
पढ़ो और इस रोमांचक सफ़र में साथ हो लो….
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प्रज्ञा मिश्रा बालकथा लेखन में अब एक प्रतिष्ठित नाम है। उनका पहला कहानी संग्रह-फुहार-लोक भारती प्रकाशन से प्रकाशित होकर चर्चित हो चुका है। उनकी दुसरी किताब, बोलते-बुलबुले पाँच भागों में बाल कहानियों का महत्त्वाकांक्षी प्रोज़ेक्ट है। इसकी दो किताबें, टेडी एवं अन्य कहानियाँ और ऊँट का बूट एवं अन्य कहानियाँ पिछले दिनों प्रकाशित हुई हैं। नानी की बातें बोलते बुलबुले सीरीज़ की तीसरी किताब है।
प्रज्ञा मिश्रा यों तो वाणिज्य की छात्रा रही हैं लेकिन उनकी रुचि अध्यात्म में ज्यादा है। उनके जीवन पर परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा प्रतिपादित योग ध्यान का गहरा प्रभाव रहा है। सन 2017 में BRICS-IF और श्री योगी महाजन से जुड़ने के बाद उन्होंने जन सरोकारों पर सोचना शुरू किया ।
Weight | 0.100 kg |
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Dimensions | 7.7 × 5.1 × 1 cm |
Author |
Pragya Mishra |
Imprint |
Unbound Script |
Publication date |
30 January 2025 |
Pages |
117 |
Reading age |
6 years and up |
ISBN-13 |
978-9348497604 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
Brand |
Unbound Script |
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