ड़कती धूप-सा पिता । नर्म छाँव-सी माँ। एक सकुचाया-सा लड़का । एक धक-सी गोरी लड़की । और एक अजीब-सी प्रेम कहानी । एक ऐसी कहानी जिसमें प्रेम तो तरतीब से सिमटा हुआ है, लेकिन कहानी बेतरतीब-सी जाने कहाँ से कहाँ तक फैली हुई है !
# पटना साइंस कॉलेज के केमिस्ट्री लैब से लेकर देहरादून इंडियन मिलिट्री एकेडमी के चेटवुड परेड-ग्राउंड तक ।
# बिहार के विधान-सभा चुनाव से लेकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक तक ।
# शाहरुख़ ख़ान की ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ से लेकर सलमान ख़ान की ‘सुल्तान’ तक। कहानी, जो अपनी तरतीब सी बेतरतीबी में ‘हमने कलेजा रख दिया- चाकू-की-नोक-पर’ से उठती है तो फिर ‘ऐसी-नज़र-से-देखा-उस- ज़ालिम ने चौक पर ही जाकर गिरती है।
Maut Bulati hai By Satya Vyas – Hindi ( मौत बुलाती है )
हुसैनगंज पुलिस को क्रिस्तानी कब्रिस्तान के बाहर एक लाश मिली है और रेलवे पुलिस को मंडावली रेलवे ट्रैक पर दूसरी लाश। क़ातिल आला दर्जे का शातिर है। वह दो अलग-अलग दायरे में काम करनेवाली पुलिस को आपस में उलझा देता है। और समस्या केवल यही नहीं है। यह भी है कि एक लाश के साथ तीन हाथ है। कौन मजलूम है और कौन मुजरिम। कौन मक़तूल है और कौन क़ातिल। अगर आप यह केस इंस्पेक्टर नकुल से पहले सुलझा पाते हैं तो सबसे पहले अपने दिमाग को ही शक के दायरे में खड़ा करें। क्योंकि फिर आप भी क़ातिल की तरह ही सोचते हैं।
लखनऊ जितना नवाबों के लिए जाना जाता है उतना ही शायरों के लिए भी। पर उस दिन के बाद ये शहर टैक्सी ड्राइवर शरद सिंह के लिए भी जाना जाने लगा । क़िस्मत ने ऐसा खेल खेला कि इस एक अकेले के पीछे शायराना शहर के सारे धुरंधर पड़ गये । जैसे चाहने वाले मीर की कब्र ढूढ़ते हैं वैसे मारने वाले शरद सिंह को ढूढ़ रहे थे । किसी ज़माने में इसी लखनऊ की गलियों में अपनी मोहब्बत के हाथों में हाथ डाले शरद नवाबों की तरह घूमता था । और अब हाल ये था कि जान बचाने के लिए मारा-मारा फिर रहा था । दिन जवानी के थे और दौर मुसीबतों का। वो वक़्त कुछ और था जब शरद किसी का जान-ए-जिगर हुआ करता था। अब जो थे वे जानी दुश्मन थे। बीते दिनों पिताजी शरद से लखनऊ छुड़वाना चाहते थे और शरद ने मना कर दिया था। पर हालात ने शरद को ऐसे मोड़ पे खड़ा कर दिया था कि वो हर साँस साँस में कह रहा था- लखनऊ अरे तौबा !
Additional information
Weight
0.200 kg
Dimensions
20 × 13 × 3 cm
Brand
Yuvaan Books
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