मिठउवा -अष्टभुजा शुक्ल के ललित निबंध सिर्फ ललित नहीं हैं। ये अपनी अन्तर्वस्तु में पाठक को हमारे समय की असाध्य समस्याओं, जीवन के जटिल और बीहड़ पथों तक ले जाते हैं। उनके निबंधों में गजब की आन्तरिक संगति है और इनमें अष्टभुजा शुक्ल लेखक के रूप में भी किसान लगते हैं। सरोकारों, स्थितियों से जूझते हुए, वंचित जन के साथ जीवन – क्षेत्र में कुदाल–कलम से जोतते-खोदते हुए। सो अष्टभुजा शुक्ल हिन्दी गद्य को समर्थतर बनाने वाले सिर्फ गद्यकार नहीं समर्थ कवि सक्षम गद्यकार हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की परंपरा को देखते हुए कौन कहता है कि हिन्दी गद्य में बाणभट्ट की संभावना नहीं है। -विश्वनाथ त्रिपाठी आवरण के चित्रकार ‘पद्मश्री’ भज्जू श्याम गोंड चित्रकला के लिए सुविख्यात प्रधान गोंड परिवार की नयी पीढ़ी के चित्रकार हैं। उनके चित्र भारत भवन समेत देश और विदेश में अनेक जगह प्रदर्शित हुए हैं। भज्जू ने पारंपरिक गोंड चित्रकला में आधुनिक आयाम जोड़कर उसका विस्तार किया है। लंदन यात्रा पर आधारित उनकी बहुचर्चित पुस्तक – ‘द लन्दन जंगल बुक’ इटैलियन, डच, फ्रेंच, कोरियन और पुर्तगाली भाषाओं में भी प्रकाशित हुई है।
अष्टभुजा शुक्ल हिंदी साहित्य के एक प्रमुख कवि हैं, जिनका जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के दीक्षापार गाँव में हुआ था। उनकी प्रमुख काव्य संग्रहों में “पद-कुपद”, “चैत के बादल”, “दुःस्वप्न भी आते हैं”, “इस हवा में दो-चार साँसें” और “रस की लकड़ी” शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, उनका एक निबंध संग्रह “मिठुवा” भी प्रकाशित हुआ है। अपने साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें “परिवेश सम्मान”, “केदार सम्मान” और “श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान” जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
अधिक जानकारी और उनकी रचनाएँ पढ़ने के लिए, आप हिंदवी वेबसाइट पर भी जा सकते हैं।
Additional information
Weight
0.100 kg
Dimensions
19.4 × 12.5 × 1 cm
Author
Ashtbhuja Shukla
Imprint
Unbound Script
Publication date
22 January 2025
Pages
120
Reading age
12 years and up
ISBN-13
978-9348497642
Binding
Paperback
Language
Hindi
Brand
Unbound Script
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