महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (1907-1987) हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका और शिक्षाविद् थीं। उन्हें हिंदी साहित्य में “छायावाद युग की महान कवयित्री” कहा जाता है। उनकी रचनाएँ भावनात्मक संवेदनाओं, प्रकृति प्रेम और नारी चेतना से ओतप्रोत हैं।
जीवन परिचय
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल में प्राप्त की और प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (M.A.) की उपाधि हासिल की। वे शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहीं और प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या और कुलपति रहीं।
साहित्यिक योगदान
महादेवी वर्मा का लेखन मुख्य रूप से काव्य और गद्य दोनों रूपों में समृद्ध रहा है। उनकी कविताएँ भावनाओं की गहराई और करुणा से भरी होती हैं। उनके साहित्य में नारी विमर्श और समाज सुधार की झलक मिलती है।
प्रमुख काव्य संग्रह
- नीहार (1930)
- रश्मि (1932)
- नीरजा (1934)
- सांध्यगीत (1936)
- दीपशिखा (1942)
प्रमुख गद्य रचनाएँ
- स्मृति की रेखाएँ
- अतीत के चलचित्र
- पथ के साथी
- शृंखला की कड़ियाँ (महिला सशक्तिकरण पर आधारित)
पुरस्कार और सम्मान
महादेवी वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले:
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (1982)
- पद्म भूषण (1956)
- पद्म विभूषण (1988, मरणोपरांत)
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1979)
नारी चेतना की समर्थ लेखिका
महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण को प्रमुखता दी। उनकी कृति “शृंखला की कड़ियाँ” भारतीय नारी की सामाजिक स्थिति पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
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