

नीलकंठ एक मोर की कहानी है।
महादेवी वर्मा ने इसे बड़े सरस और आत्मीय ढंग से लिखा है। इस सुंदर गद्य से गुज़रते हुए हम नीलकंठ के बचपन से लेकर उसके वयस्क मयूर बनने तक की यात्रा में साथ हो लेते हैं। हम उससे ऐसा जुड़ाव महसूस करने लगते हैं कि नीलकंठ का गुस्सा, उसकी उदासी और उसका प्यार हमें महसूस होने लगता है।
इस संस्मरण के परिदृश्य में लेखिका का पशु पक्षियों के प्रति अनुराग भी जैसे गूँजता रहता है। नीलकंठ की कथा पढ़ते हुए हम एक सुंदर और मार्मिक प्रेमकथा से भी रूबरू होते हैं।
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महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा (1907-1987) हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री, लेखिका और शिक्षाविद् थीं। उन्हें हिंदी साहित्य में “छायावाद युग की महान कवयित्री” कहा जाता है। उनकी रचनाएँ भावनात्मक संवेदनाओं, प्रकृति प्रेम और नारी चेतना से ओतप्रोत हैं।
महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिशन स्कूल में प्राप्त की और प्रयाग विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (M.A.) की उपाधि हासिल की। वे शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय रहीं और प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या और कुलपति रहीं।
महादेवी वर्मा का लेखन मुख्य रूप से काव्य और गद्य दोनों रूपों में समृद्ध रहा है। उनकी कविताएँ भावनाओं की गहराई और करुणा से भरी होती हैं। उनके साहित्य में नारी विमर्श और समाज सुधार की झलक मिलती है।
महादेवी वर्मा को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले:
महादेवी वर्मा ने अपनी रचनाओं में नारी स्वतंत्रता और सशक्तिकरण को प्रमुखता दी। उनकी कृति “शृंखला की कड़ियाँ” भारतीय नारी की सामाजिक स्थिति पर आधारित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
Weight | 0.100 kg |
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Dimensions | 7.2 × 6 × 1 cm |
Brand |
Unbound Script |
Author |
Mahadevi Verma |
Imprint |
Unbound Script |
Publication date |
23 January 2025 |
Pages |
24 |
Reading age |
6 years and up |
ISBN-13 |
9789348497574 |
Binding |
Hardcover |
Language |
Hindi |
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