आकाश में तारे टिमटिमा रहे हैं तो नीचे घास पर जुगनू । अक्षर किताबों से निकल भागे, नदी पार की लेकिन पहुँचे भी तो कहाँ – काँटों के गाँव । समंदर, नदी, नहर और बाल्टी सबमें पानी है। अपनी अपनी जगहों से पानी और पानी की बातें हो रही हैं। उधर फूलों के रंग तुमसे कुछ कहने को हैं । सपने में लाहौर जाकर कुल्फी खा लो और सपने में ही घर लौट आओ। ऐसी प्यारी और जादूभरी कविताएँ पढ़नी हैं ? ‘नींद का बक्सा’ घर ले जाओ और चुपके से खोलकर देखो। इसमें जितनी सुन्दर कविताएँ हैं उतने ही सुन्दर चित्र। गौर से देखो तो इस बक्से के चित्र और कविताएँ बातें करती दिखेंगी।
मनोज कुमार झा मनोज कुमार झा हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि हैं। अबतक उनके तीन संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- तथापि जीवन, कदाचित अपूर्ण, किस्सागो रो रहा है। उन्होंने विश्वप्रसिद्ध चिंतक एजाज़ अहमद की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद और ‘पागलों की दिखन’ पर शोधकार्य किया है। उनकी बाल कविताएँ हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। यह उनका दूसरा बाल कविता संग्रह है। संप्रति दरभंगा में निवास और स्वतंत्र लेखन ।
Additional information
Weight
0.100 kg
Dimensions
22.8 × 14.7 × 1 cm
Brand
Unbound Script
Author
Manoj Kumar Jha
Imprint
Unbound Script
Publication date
7 November 2024
Pages
64
Reading age
10 years and up
ISBN-13
9789348497208
Binding
Paperback
Language
Hindi
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