

रेल लोकोमोटिव का भूत क्या भूत होते हैं और अपना प्रतिशोध लेते हैं ?
क्या ऐसे भी भूत होते हैं जो सच्चाई और न्याय के लिए प्रतीक्षा करते हैं और तब मुक्त होते हैं ?
उस रेल लोकोमोटिव कारखाने के खंडहर में वाकई भूत प्रेत रहते थे या यह बातें किसी अपराधकथा पर डाला गया ऐसा परदा था जिसके पार जाने की किसी की हिम्मत न पड़े?
भूत, प्रेत, किसी अज्ञात शक्ति की छाया … ये ऐसी बातें हैं जिससे मनुष्य हमेशा रोमांचित, भयभीत और आकर्षित होते रहे है। विज्ञान इन बातों को नहीं मानता लेकिन जनमानस का एक बड़ा हिस्सा इन बातों पर विश्वास करता आया है। तर्क और आभास, विश्वास और अविश्वास के इसी कठिन संतुलन बिंदु की कथा है- रेल लोकोमोटिव का भूत ।
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बिहार के छोटे से क़स्बे, जमालपुर में जन्मे सुमित को बचपन से ही अभिनय का शौक़ था। स्कूल के दिनों से ही स्टेज पर परफॉर्म करते रहे। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से खातक करने साथ इन्होंने अंग्रेज़ी और फ्रेंच भाषाएँ पढ़ीं। वहीं पहली बार थिएटर किया। कॉलेज ख़त्म कर के मुंबई जाना चाहते थे, लेकिन एक मध्यमवर्गीय परिवार में यह इतना आसान नहीं था। पर्यटन में स्नातकोत्तर, सुमित ने अरविंद गौड़ के साथ अस्मिता थिएटर ग्रुप में रंगमंच और जीवन की बारीकियाँ सीखीं। वहीं से मुंबई जाकर सपने पूरे करने की राह खुली, ‘अतरंगी रे में बैकग्राउंड में काम करने का मौक़ा मिला। इसके बाद से सुमित ने जवान, राधे, 14 फेरे, रक्षाबंधन, बंटी और बबली, पल पल दिल के पास, डेल्ही क्राइम, ताज: डिवाइडेड बाई ब्लड जैसी अनेक चर्चित फिल्मों और वेबसीरीज़ में अभिनय किया और यह सिलसिला जारी है। यह पहला उपन्यास ।
Weight | 0.100 kg |
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Dimensions | 7.7 × 5.1 × 1 cm |
Brand |
Yuvaan Books |
Author |
Sumit Sinha |
Imprint |
Yuvaan Books |
Publication date |
31 January 2025 |
Pages |
136 |
Reading age |
8 years and up |
ISBN-13 |
9789348497246 |
Binding |
Paperback |
Language |
Hindi |
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