शिक्षा न केवल ज्ञान देने का माध्यम है, बल्कि यह विद्यार्थियों को एक सक्षम नागरिक और संवेदनशील मानव बनने की दिशा में तैयार करने का मार्ग भी है। हालाँकि, हर विद्यार्थी की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, क्षमताएँ और ज़रूरतें भिन्न होती हैं। यही विविधता शिक्षकों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी करती है- कि समाज के पिछड़े वर्गों से आने वाले, किसी तरह की अक्षमता या बीमारी से ग्रस्त बच्चों को बाकी विद्यार्थियों के स्तर तक कैसे लाया जाए? यह पुस्तक इसी जटिल प्रश्न का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करती है। पुस्तक के लेखक राम चंद्र जी को ऐसे बच्चों को शिक्षित करने का दीर्घकालिक और गहन अनुभव है। यह पुस्तक उनके अनुभवों, अंतर्दृष्टियों और वर्षों की शिक्षकीय बहसों की उपज है। इसमें न केवल शिक्षण के व्यावहारिक उपाय हैं, बल्कि एक गहरा मानवीय दृष्टिकोण भी शामिल है, जो इसे और अधिक मूल्यवान बनाता है।
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